5 Simple Statements About पारद शिवलिंग और स्फटिक शिवलिंग Explained
5 Simple Statements About पारद शिवलिंग और स्फटिक शिवलिंग Explained
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सावन में भगवान शिव को चढ़ाएं बेलपत्र पर बरतें ये सावधानियां नर्मदेश्वर शिवलिंग को सर्वाधिक शक्तिशाली और पवित्र क्यों माना जाता है ?
पारद शिवलिंग हे महादेवाचे प्रत्यक्ष रुप मानले जाते. त्यामुळे घरात पारद शिवलिंगाची प्रतिष्ठापना करा. घरातील देव्हाऱ्यात पार्वती-शिवांचे चित्र असेल तर त्यांच्यासमोर पारद शिवलिंगाची स्थापना करा. तत्पुर्वी चांदीच्या, तांब्याच्या किंवा पितळाच्या ताटावर पांढरे कापड पसरून त्यांना शिवलिंग बसवावे. सर्व प्रथम पारद शिवलिंगाच्या उजव्या बाजूला दिवा लावावा. त्यापूर्वी त्यांना गंगाजलाने आभिषेक करा.
पारद और स्फटिक में से कौन-सा शिवलिंग बेहतर होता है?
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पारद शिवलिंगाच्या दर्शनाने मोठी पापे दूर होतात.
योग शिखोपनिषद ग्रन्थ में पारद के शिवलिंग को स्वयंभू भोलेनाथ का प्रतिनिधि माना गया है। इस ग्रन्थ में इसे महालिंग की उपाधि मिली है और इसमें शिव की समस्त शक्तियों का वास मानते हुए पारद से बने शिवलिंग को सम्पूर्ण शिवालय की भी मान्यता मिली है
ग्रह दोष निवारण: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पारद शिवलिंग की पूजा से ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
ईश्वरीय कृपा: पारद शिवलिंग की पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता दिलाने में सहायक होती है।
इसे घर या दफ्तर में बने मंदिर में स्थापित करें।
भगवान भोले नाथ ने स्वयं माता पार्वती से कहा था, की जो भी उपासक इस पारद शिवलिंग की पूजा-अर्चना करेगा
पारदेश्वर मंदीर परभणी शहरात स्थित असून परभणी रेल्वे स्टेशन दक्षिण मध्य रेल्वे क्षेत्राचे सिकंदराबाद-मनमाड विभागात स्थित आहे. औरंगाबाद, मुंबई, नागपूर, पुणे आणि अजमेर सारख्या महाराष्ट्रातील प्रमुख शहरांपर्यंत परभणी रेल्वेमार्गाने click here जोडली आहे.
आमतौर पर हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं की साकार रूप की पूजा होती है, जिनके हाथ, पैर, चेहरा आदि होता है, लेकिन एकमात्र शिव ऐसे देव हैं जो साकार और निराकार दोनों रूपों में पूजे जाते हैं.